Friday, April 6, 2018

माँ

माँ क्या आप सच में ही, मुझ से चिढ़ तो नहीं गई थी ना
मेरी बातें सुनके आप , अस्तब्ध तो नहीं पड़ी थी ना
मैं यूँ सोचूँ की आप, फिर क्यूँ यूँ नाराज हुई
बिना कहे अनायास ही, यूँ कैसे आप चली गई
कल की ही तो बात थी माँ, आपने मुझसे पूछा था
की देर कैसे हो गई , ये पूछ कर के डांटा था
मुझे याद है मेरे फिक्र में  आपने खाना भी न खाई थी
मेरे इंतज़ार में चौखट पर नज़र गड़ाई बैठी थी
हर आहट पे चौंक कर के आप मुझको ढूंढा करती थी
मेरे आने पर जब आप गुस्सा किया यूँ करती थी
बिना बताए जाने पर आप, मुझे बुरा भला कहती थी
फिर माँ , आज क्यूँ आप स्वयम् अपनी ही बातों से मुकर गई
यूँ तन्हा वियोग में हमें , अनायास छोड़ कर चली गई
कुछ तो गलती जरूर थी मेरी, जो आपने ऐसा व्यवहार किया
खुद को मुझसे इतना दूर ले जाके जाने कैसा व्यवहार किया
आखिर गलती हुई थी मुझसे तो आप मुझको दुत्कार देती
पर कम से कम भैया को ही सही, कुछ दिन और अपना दुलार देती
अच्छा रहने दो आप मुझे पता है, आप क्यों यूँ चली गई
मुझे सम्मुख देख कर के क्यूँ यूँ मुँह फेर गई
गलती हुई थी मुझसे तो मुझे दो थप्पड़ लगाना था
मुझको खुद से दूर करने का कैसा ये हरकत बचकाना था
मेरी शरारतों पर पहले कैसे आप मुस्काती थीं
आज अचानक क्या हुआ जो, पुत्र स्नेह न प्यारी थी
मेरी छोड़ो माँ,उस इस्थिति प्रज्ञ पुरुष की क्या गलती थी
कल तक जो चट्टान सरीखा आज उनकी भी दोनों आँखे गीली थी।
मुझे ऐसा लगता है कि, गलती मेरी ही रही होगी
और मेरे गलती से ही आप मुझसे चिढ़ गई होंगी
नाराज़ हो के ही मुझसे यूँ, इतनी दूर चली गई होंगी ..........

भास्कर








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